दीपक, जुगुनु, चाँद सितारे सारे एक से हैं
यानी सारे ईस्क के मारे एक से हैं
कभी आकर देख मेरे चाँद
मैं आंशु ओर ये सितारे एक से हैं
दरिया हूँ मैं भेद भाव को क्या जानू
मैने लिए तो दोनो किनारे एक से हैं
मेरी कस्ती किसने डुबोई
मुझे क्या मालूम
सारी लहरें सारे धारे एक से हैं
कुछ अपने ओर कुछ बेगाने ओर मैं ख़ुद
मेरी जान के दुसमन सारे एक से हैं
2 comments:
kya tarif karu tumhari yaar bahoot khoob nice
thx again brother. bas aap se he shekh raha hun.
Post a Comment