Wednesday, April 25, 2007

क्या मालूम

दीपक, जुगुनु, चाँद सितारे सारे एक से हैं
यानी सारे ईस्क के मारे एक से हैं
कभी आकर देख मेरे चाँद
मैं आंशु ओर ये सितारे एक से हैं
दरिया हूँ मैं भेद भाव को क्या जानू
मैने लिए तो दोनो किनारे एक से हैं
मेरी कस्ती किसने डुबोई
मुझे क्या मालूम
सारी लहरें सारे धारे एक से हैं
कुछ अपने ओर कुछ बेगाने ओर मैं ख़ुद
मेरी जान के दुसमन सारे एक से
हैं

2 comments:

Unknown said...

kya tarif karu tumhari yaar bahoot khoob nice

Neeraj K. Rajput said...

thx again brother. bas aap se he shekh raha hun.