Friday, September 4, 2009

खामोश निगाहों का सपना तुम हो

खामोश निगाहों का सपना तुम हो,
जिसको भुला न सकूं, वो अपना तुम हो,
जिसकी हर बात, मेरी तन्हाईयों को छू ले,
सच ऐ ख्वाब, वो तुम हो,
वो तुम हो, वो तुम हो।

जिसकी धङकन की आवाज़,
सिर्फ मैं सुनूं ,दिन और रात,
जिसके आने की राह तकें,
ये आंखे बार-बार,
जिसकी खुशबू का पता,
बहारें मुझको दें जांए,
सच ऐ ख्वाब वो तुम हो,
वो तुम हो वो तुम हो।

जिसका अफसाना मेरे हयात के,
पैमाने में भरा हो,
जिसको पी कर मेरा गम भी,
दीवाना बन गया हो,
मेरे माज़ी के हर पन्ने पे,
लिखी जिसकी दास्तां,
सच ऐ ख्वाब, वो तुम हो,
वो तुम हो वो तुम हो।

Friday, July 10, 2009

दिल में छुपा रखा है तुझे याद बना के

दिल में छुपा रखा है तुझे याद बना के


कभी सांसों का हौसला कभी फरियाद बना के


हर एक कोने को रौशन किया तस्वीर से तेरी


तेरी हर बात ने छोडा मुझे बर्बाद बना के


आसमां ना गुमां कर ले रात की चांदनी पे कही


तभी तो ज़मीं पे उतारा गया है तुझे चाँद बना के


मै नए साल में क्या पेश करू तोहफतन तुझको


हर धड़कन को भेजा है मुबारकबाद बना के


एक ख्वाब सच हो वरना इन बातों का क्या है


कल ख्वाब में देखा खुद को तेरा नौशाद बना के


यह क्या रंग ज़िन्दगी का दिखाते हो 'शाहंशाह'


तुम खुद ही रूठ गए सभी को शाद बना के

Thursday, June 18, 2009

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं



कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झू�¤ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .

जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .

Thursday, May 28, 2009

कबीर अगर तुम न हुए होते

कबीर अगर तुम न हुए होते

होते हम कितने निर्लज्‍ज और निष्‍ठुर

तुम्‍हारी वाणियां और साखियां

बार-बार स्‍मरण कराती हैं

आदमी का कद

कितना ओछा हो सकता है.



कबीर अगर तुम न हुए होते

तो होता केवल

मिथ्‍या जगत

तुम ही हो बटरोही

बनकर मार्ग दर्शक

आज भी अटल खड़े, अड़े हो

अड़ी हैं तुम्‍हारी

उलटबांसियां

सुलटा रही हैं दुष्‍कर्म

और दिवा स्वप्नों का

अंधेरा

हटा रही हैं पथ के कंकड़.



कबीर अगर तुम न हुए होते

नहीं होते गांधी

सत्‍य की लड़ाई के

योद्धा कहां खड़े होते

इस निरही जन जंगल में



कबीर अगर तुम न हुए होते

यह संसार उलझा ही रहता

उलट-पुलट हुआ रहता

मर्यादाओं को भंग करता

भीतर के तीरथ को जाने,

कितना और तिरोहित करता



कबीर अगर तुम न हुए होते

धागे कितने टूटे होते

रंग कितने बिखरे होते

ढाई आखर अपने पर रोते



कबीर अगर तुम न हुए होते

कुटिया गरीब की सूनी होती

सन्‍नाटा, विक्षोभ, वीराना

हर घर पर छाया होता

अगन लगी होती हर घर में

कौन बुझाने वाला होता।

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फारूक आफरीदी

Sunday, May 17, 2009

उल्टी नगरी

उल्टी नगरी एक अनोखी, वस्तु जहाँ की उल्टी पुलटी.
उल्टी दुनिया उल्टा पर्वत्, उल्टे पेड़ चिमनिया उल्टी.
देती दूध चींटियाँ ख़्ररहे हल खींचे, चूहे हलवाहे.
पैसा दुर्लभ, सुलभ अशरफ़ी, भोजन सबको खाना चाहे.
दाड़ी मूंछ रखें औरतें, मर्द खिलाते घर मे बच्चे.
रहते लोगों मे मकान ही, झूठे जीते मरते सच्चे.
सर पर जूता पगड़ी पेरो में, मच्छ्रर की है बनी सवारी.
दिंन मे चाँद चमकता, सूरज सारी रात करे उजियारा.
जलता पानी, आग बुझाती, चलते सर के बल नर नारी.
छपपर तो ज़मीन पर रहता, घोड़ा पीछे आगे गाड़ी.
नाव चलाते मरुस्थलों मे, सांझ जागते सोते तड़के.
पाँच बरस तक रहते बूढ़े, साठ बरस मे बनते लड़के.
सुनती आँख कान देखते, नीक बाबू कुर्सी उपर.
चद जाती पहाड़ पर नदियाँ, सिंधु झील से निकल निकल कर.
एक बात का वहन बड़ा सुख, पड़ते गुरु पदाते चेले.
मौज उड़ाते बेथे भिखारी, शहंशाह चलाते ठेले.
रही ज्यू के टयूँ रह जाते और चला करती है डगरी.
उल्टी सारी वस्तु जहाँ की देखी ऐसी उल्टी नगरी.

Tuesday, April 14, 2009

वक़्त नही

हर खुशी है लोगो के दामन में
पर एक हँसी के लिए वक्त नही
दिन रात दौड़ती इस दुनिया में
जिंदगी के लिए ही वक्त नही

माँ की लोरियों का अहसास तो है
मगर माँ को माँ कहने का वक्त नही
सारे रिश्तो को तो हम मार चुके
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नही

सारे नाम मोबाईल में है
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही
गैरों की क्या बात करे
जब अपने के लिए ही वक्त नही

आँखों में है नींद बड़ी पर
सोने का भी वक्त नही
दिल है गमो से भरा
पर रोने का भी वक़्त नही

पैसो की दौड़ में ऐसे दौडे
की थकने का भी वक़्त नही
पराये अहसासों की क्या कद्र करे
जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नही

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी
इस ज़िन्दगी का क्या होगा
की हर पल मरने वालो को
जीने का भी वक्त नही

मेरी रातें तुम्हारी यादों से


मेरी रातें तुम्हारी यादों से सजी रहती हैं
मेरी सांसें तुम्हारी खुशबू में बसी रहती हैं
मेरी आँखों में तुम्हारा ख्वाब सजा रहता है
हाँ मेरे दिल में तुम्हारा ही अक्स बसा रहता है

इस तरह मेरे दिल के बहुत पास हो तुम
जिस तरह पास मुरीद के खुदा रहता है
तुम को मालूम हो ,या न हो शायद कभी
मेरे दिल के आँगन में लगे फूल गवाही देंगे

मैंने कभी किसी फूल को देखा भी नहीं
तुम को सोचा है ,तो फिर तुम को ही सोचा है बहुत
तुम्हारे सिवा किसी और को सोचा भी नहीं

Monday, March 30, 2009

ऐसा वादा न कर मुझसे




ऐसा वादा न कर मुझसे की तू निभा न सके,
इतना दूर न जा की कभी मुझ पे हक़ जता न सके,


गलत्फमियों से न लगा नफरत की आग,
की चाह कर भी तू बुझा न सके,


न खीच दिल के आईने पे कुछ ऐसी रेखाएं जो चेहरा बदल दे,
की अपनी ही सूरत तू धडकनों को कभी दिखा न सके,


न बांध ज़माने के रिश्तों में मासूम प्यार को तू आज,
की कल खुदा सी मोहब्बत के जस्बातों को तू कुछ समझा न सके,


है दम तेरी नफरत में तो छोड़ दे तस्बूर में भी मेरा ख्याल,
कहीं ऐसा न हो एक पल के लिए भी तेरी साँसे मुझे भुला न सके,


नामो निशा भी न छोड़ तू मेरी किसी निशानी का अपने पास,
लेकिन वक़्त के हाथ तेरे चेहरे से मेरे प्यार का निशा मिटा न सके,


सजा दिया नए रिश्तो की रौशनी ने मन तेरा जीवन,
पर यादों के लम्हों की दाल से ये मेरा नाम हाथ न सके,


इंसा से लेके खुदा तक सबने जिसे मिटाना चाहा
ऐसी मोहब्बत को भुलाने के लिए हम खुद को मन न सके,


न कर इतना शर्मिंदा मेरी मोहब्बत को आज,
की कल तू इस इश्क को अपने दिलके महल में सजा न सके.

Thursday, March 26, 2009

सीने से आ के लग भी जा


सीने से आ के लग भी जा

काबिल नही मै आपके, इसमे तो शक़ नही
दिल तोडने का लेकिन, तुमको भी हक़ नही

नज़रो की प्यास बुझ गयी, दिल को भी मिल रहा सुख
होठो को चूम लेने दे, बाहे झटक नही

बस एक पल की बात है, कितनी हंसीन रात है,
चूनकर सरकने दे जरा, तू खुद सरक नही

तेरा दिल भी बेकरार है, तुझको भी मुझसे प्यार है,
सीने से आ के लग भी जा, अब यूं झिझक नही

Friday, March 6, 2009

कितना पागल है ये दिल


कितना पागल है ये दिल
कितना पागल है ये दिल
हवा मे तुम्हारा पैगाम ढूंढता है
इस जगह मे तुम्हारा निशान ढूंढता है
आसमान मे तुम्हारा ये नाम ढूंढता है
सितारे मगर बताते नही
नज़ारे यहाँ के मानते नही
झोंके कभी कुछ जताते नही
ये इशारे भी दिल को समझाते नही
विराने मे तुम्हारे ये साथ ढूंढता है
कितना पागल है ये दिल
विराने है हमारे
तुम हमारे नही

Wednesday, March 4, 2009

आखरी मुलाकात

आज जाने से पहेले उसने भी कुछ कहा था
गम का थोड़ा सा असर उस पेर भी हो रहा था
चुप होने से पहेले उन के लब हिले थे
उस खामोशी के नगमे हम ने भी सुने थे

एक लंबा दयरा सा बन गया अचानक
जोर जोर से दे रहा था ये दिल सिने पर दस्तक
गुज़र गई वो शाम हम कुछ भी ना कहेना पाए
निगालेंगे इन अरमानों को अब रातों के साये

नज़रों के सामने एक धुंद सी छाई थी
फिर एक बात पुरानी काही से याद आई थी
लगा .....कार रहे थे हम अपने आप ही से बाते
हमने फिर देखी उनकी परछाई जाते जाते

Tuesday, March 3, 2009

ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है!

लब पे पाबन्दी नही एहसास पे पहरा तो है
फिर भी अहल-ए-दिल को अहवाल-ए-बशर कहना तो है

अपनी गैरत बेच डालें अपना मसलाक छोड दें
रहनुमाओं मे भी कुछ लोगो को ये मन्शा तो है

है जिन्हे सब से ज़्यादा दावा-ए-हुब्ब-ए-वतन
आज उन की वजह से हुब्ब-ए-वतन रुसवा तो है

बुझ रहे हैं एक एक कर के अकीकदों के दिये
इस अन्धेरे का भी लेकिन सामना करना तो है

झुठ क्यू बोलें फ़रोग-ए-मस्लहत के नाम पर
ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है!

किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही

रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...

खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...

पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...

अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...

आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही...!!!

Saturday, February 21, 2009

कुछ पल गुजार लूं

रुक गई साँसे निकालने से पहले,
कहा एक बार उससे मिललूं चलने से पहले,

कुछ पल गुजार लूं उसकी बाहों में,
ज़िन्दगी के ढलने से पहले,

बहक जाऊं उसके आगोश में,
किसी और के साथ संभालने से पहले,

पत्थर बना लूं खुद को तो अच्छा है,
एहसास जग न जाए यादों के बहल ने से पहले,

मोहब्बत फिर भी करता तुझसे जो खबर होती,
इतना दर्द मिलेगा इस मोड़ के गुज़रने से पहले,

बस इश्क का खुमार हो मुझमे,
डूब जाऊं इस नशे में इसके उतरने से पहले,

सच होने की शर्त रखी कहाँ थी मैंने,
खवाबों की सीडियां चड़ने से पहले,

क्या पता था डूब कर ही पार लग जाउंगा,
इस इश्क के समुन्दर में गिरने से पहले.

Wednesday, February 18, 2009

एहसास

एहसास

एक भावना,एक माध्यम है
कुछ पाने और कुछ खोने का

कभी ना कर सकी इस भावना का इज़हार
और ना ही कभी किया है इंतज़ार


एसे ही उमड़ पड़ता है
जब कोई चीज़ बहुत हो ज़्यादा,या बहुत कम

दबे पाव आए , आहट भी ना होये
बस एक हलचल महसूस करता है

गम और खुशियों से मिलन करता है
जुड़ ज़्याता है मन से, ज़िंदगी में ,ये अहसास

मेरी ही भावना मुझे थमाता है
और अनकहे ही चला ज़्याता है, ये अहसास

प्रेम से जीत

नफरत ऒ फैलाने वालों
यह तुम ठीक से जान लो
नहीं सफल हो सकते तुम
विष वमता में जान लो
मजहब नहीं सिखाता बैर
तुम्हे समझ क्यों ना आये
हिंसा कर दहशत फैलाना
रास तुम्हे कैसे आये
मातृ-भूमी पर मर मिटने का
जज्बा लिये हम जीते हैं
अनाचारियों को खत्म करने का
संकल्प लिये हम चलते हैं
विद्वेष का जहर घोल कर
जीत नहीं सकता कोई
नत् मस्तक हम प्रेम के आगे
हमें प्रेम से जीत सकता हर कोइ

Wednesday, February 11, 2009

सादा जीवन उच्च विचार

सादा जीवन उच्च विचार को अपनाये सरकार
कोई बेचे ताज कोई मंदिर गुरुद्वार
उच्च विचार को बेच दिया गैरों के हाथ
बस जीवन की बाकी रह गयी कहानी
कोई सोये खाली पेट कोई करे मनमानी
कोई भूखों मरता है तो मर जाये
मेरा बिल बस चार लाख का बन जाये
यही है सादे जीवन की नयी परिभाषा
करो फील गुड और छोड़ो आशा
वतॅमान में उच्च विचार से भी कुछ होता है
यहाँ तो सारा खेल बस उच्च जीवन का है

Sunday, January 11, 2009

मैंने देखा है करवट बदलते हुए बादलों को

मैंने देखा है करवट बदलते हुए बादलों को..........

बारिश मै भीगते हुए आसमा को.........

मैंने देखा है हवा के झोके से पेड़ों की डॉलियो को आपस मै सिमटते हुए........

मैंने देखा है पंछीयों को अपनी दिशा बदलते हुए........

मैंने देखा है इस रिम् झिम मै भिग्ते हुए खुद के बदन को........

मैंने देखा है बाद्लो के पीछे से झाकते हुए चांद को.......

मैंने महसूस की है तेरी खुश्बो इस बहती हुई हवा में......

मैंने एह्सास किया है तुझे हर पल इस बदलते हुए मौसम मै......

Thursday, January 8, 2009

जहाँ प्यार मीले.

ना ग़मों के हो साये ना दर्द का नामों नीशां ,
ए दील चल चलें वहाँ जहाँ प्यार मीले ।
दूर ख्वावों के देश मे कोई तो होगा अपना ,
इन्तेजार में पलकें बीछाये तकता होगा रस्ता अपना ।
दूर ग़मों को छोड़ चलें हम, दर्द सारे भूल चले हम,
छोड़ चलें उन यादों को , भूल चलें सारे गीले ,
ए दील चल चलें वहाँ ...जहाँ प्यार मीले....!