Friday, August 31, 2007

ख़ामोश रात है

ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है
चाँद की चँदनी भी हल्की है
पर उसमे भी तेरी हॅसी झलकी है
ठंडी हवाओ की एक सिरहण है
थमी हुई सी मेरी धड़कन है
पर दूर कहीं एक चेहरा ख़ास है
जिसे आँखों से पीने की मेरी प्यास है

ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है

जैसे कश्ती को माझी से प्यार है
वैसे ही कुछ मेरा भी हाल है
अब तो बस कल सुबहा का इंतज़ार है
देखूँगा उसे नज़र भर के
मुझे जिससे प्यार है ,पर अभी तो.....
ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है

Friday, August 24, 2007

मेरी कमी होगी..

गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......

आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,

सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी

जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............

Thursday, August 23, 2007

दोस्ती क्या है

क्या ख़बर तुम को दोस्ती क्या है
ये रोशनी भी है अंधेरा भी है
ख़्वाहीसों से भरा जज़ीरा भी है
बहुत अनमोल एक हीरा भी है

दोस्ती यूँ तौ माया जाल भी है
इक हक़ीक़त भी है ख़याल भी है
कभी शाम तो कभी सुबह भी है
कभी ज़मीन कभी आसमान भी है

दोस्ती झूठ भी है सच भी है
दिल मैं रह जाए तो कसक भी है
कभी ये जीत कभी हार भी है
दोस्ती साज़ भी है संगीत भी है

शेर, नज़म ओर गीत भी है
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती ही है
दिल से निकली हैर दुआ भी दोस्ती ही है
बस इतना समझ ले तू प्यार की इंतहा भी दोस्ती ही है

Monday, August 13, 2007

आदत सी हो गयी है

यूँ तन्हा जीने की मुझे आदत सी हो गयी है
अनजान रास्तों पे चलने की आदत सी हो गयी है

वो मेरी मोहब्बत से रहें बे-ख़बर ता उमर
मुझे ये दुआ माँगने की आदत सी हो गयी है

कब तक झूठलाउंगा उन से मोहब्बत अपनी
मेरी आँखों को सच बोलने की आदत सी हो गयी है

ना जाने क्यों शाम ढलते ही ये आँखें भीग जाती हैं
मुझे इस चेहरे को अशक़ो में चुपाने की आदत सी हो गयी है

आसमा में चमकता हर सीतारा ये गवाही देगा
मुझे तुम्हारी यादों में नींदें गवाने की आदत सी हो गयी है

इस दुनिया में शायद मेरी मोहब्बत को कोई ना समझ सके
लोगो को मुझे ना समझपाने ने की आदत सी हो गयी है

महफ़िल में हर शख्स ये गिला करता है
मुझे तन्हाईओं में डूबने की आदत सी हो गयी है

Friday, August 10, 2007

दंगे ओर पंगे

ना जाने क्यूं इतने पंगे होते हैं
हमारे शहर हर रोज़ ही दंगे होते हैं

तेज़ चलती गाड़ियों के भीड़ मैं
ना जाने कितने कुचले जाते हैं

फिर लोग भड़क जाते हैं
ओर लाखों की सरकारी संपति को जाला कर ख़ाक करते हैं

सरकार तो जैसी है वैसी ही रहेगी
लोग बिना बात हे अपना दिमाक ख़राब करते हैं

क्या लोगो को सरकारी बसो को जलाने कर मज़ा आता है
या तोड़ फोड़ करने मैं सकूँ आता है

ये सब कर के लोग क्या जताना चाहते हैं
इस बेपरवा सरकार को क्या दिखाने चाहते हैं

अगर आप के पास सुझाव हो तो बता देना
नही तो हमारी तरह घटों तक ट्रेफ़िक जांम मैं मज़ा लेना.

Monday, August 6, 2007

आप क बिग़ैर

अजब मुझ को लगती है ज़िंदगी आप क बिग़ैर,
खो गयी है मेरी हेर ख़ुशी आप क बिग़ैर,

हर पल ही उदास रहता है अब तो दिल मेरा,
होता नही कभी शाद अब कभी आप क बिग़ैर,

मैं कैसे लगाउ दिल ये और किसी से?,
कोई अच्छा नही है लगता जाना .... आप क बिग़ैर,

आप लौट आओ तो लौट आए हर ख़ुशी मेरी,
ज़िंदगी सज़ा बनी है आप क बिग़ैर,

काश आप समझ जाए कैसे डसती हैं तन्हाईयाँ,
एक पल में हज़ारों दर्द सहता हूँ आप क बिग़ैर !

Wednesday, August 1, 2007

तन्हा नही छोड़ा

वो कह के चले इतनी मुलाक़ात बहुत है
मैं ने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत है

आँसू मेरे थम जायें तो फिर शौक़ से जाना
ऐसे मैं कहाँ जाओगे बरसात बहुत है

वो कहने लगी जाना मेरा बहुत ज़रूरी है
नही चाहती दिल तोड़ना तुम्हारा, पर मजबूरी है

अगर हुई हो कोई खता तो माफ़ केर देना
मैं ने कहा होज़ाओ चुप ,इतनी कही बात बहुत है

समझ गया हूँ सब, और कुछ कहो ज़रूरी नही
बस आज की रात रुक जाओ, जाना इतना भी ज़रूरी नही

फिर कभी ना आउंगा तुम्हारी ज़िंदगी में लौट के
सारी ज़िंदगी तन्हाई के लिए आज की रात बहुत हे

तुम फिर भी ना रुके, पलट के ना देखा, चल ही दिए
हमारे जीने के लिए तुम्हारी वो यादें बहुत हैं

मेरे भरोसे को तुमने ही तोड़ा
मेरे दिल की राहों को तुमने ही मोड़ा

अपनी यादों को भी साथ ले जाते
तुमने तन्हा कर के भी कभी तन्हा नही छोड़ा