Friday, August 10, 2007

दंगे ओर पंगे

ना जाने क्यूं इतने पंगे होते हैं
हमारे शहर हर रोज़ ही दंगे होते हैं

तेज़ चलती गाड़ियों के भीड़ मैं
ना जाने कितने कुचले जाते हैं

फिर लोग भड़क जाते हैं
ओर लाखों की सरकारी संपति को जाला कर ख़ाक करते हैं

सरकार तो जैसी है वैसी ही रहेगी
लोग बिना बात हे अपना दिमाक ख़राब करते हैं

क्या लोगो को सरकारी बसो को जलाने कर मज़ा आता है
या तोड़ फोड़ करने मैं सकूँ आता है

ये सब कर के लोग क्या जताना चाहते हैं
इस बेपरवा सरकार को क्या दिखाने चाहते हैं

अगर आप के पास सुझाव हो तो बता देना
नही तो हमारी तरह घटों तक ट्रेफ़िक जांम मैं मज़ा लेना.

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