Thursday, July 21, 2011

कोई दिल से कहदो, कि उम्मीद का ये बहाना छोड़े

कोई दिल से कहदो, कि उम्मीद का ये बहाना छोड़े...
और भी गम है ज़माने में, ये गम पुराना छोड़े...


मैं खुश था बहुत इश्क के बगैर भी, तनहा...
उसकी यादों से कह दो, मेरे दिल में यूँ आना छोड़े...

वो राग जो बस गया है, होंठों पे गीत बनके मेरे...
उस राग से कहदो, मेरे होंठों पे गुनगुनाना छोड़े...

वो सनम, बेरहम है, जो दिल में बस गया है मेरा...
उस हमदम से कह दो, के मेरे दिल का ठिकाना छोड़े...

जो आँशु बनके बहता है मेरे इन निगाहों से भी...
उन आँशुओं से कहदो के, मेरे आँखों में आना छोड़े...


वो ना आयेंगे कभी....
कोई दिल से कहदो, कि उम्मीद का ये बहाना छोड़े...
कोई दिल से कहदो, कि उम्मीद का ये बहाना छोड़े...

क्यूँ चले गए.......?

दिल के एक कोने से फ़रियाद आई है,
पता नहीं आज कैसे तेरी याद आई है.
होंठ सिले थे,अरमान सारे सो चुके थे ,
और हम तो अपने आंसू पुरे रो चुके थे .

जाना था जल्दी तो तुम फिर क्यूँ आये?
क्यूँ दिल में तुम छोड़ गए काले साये ?.
सूना कर आगोश मेरा क्यूँ चले गए तुम ?
ज़िन्दगी है बन गयी बिना तुम्हारे सुन्न .

अब हम तो रह गए हैं जिन्दा लाश से ,
आजाओ सनम बस खुदा के पास से
अब आओगे तुम,तो हम जाने ना देंगे,
जुदाई की हरएक पल का हिसाब लेंगे.