Wednesday, June 27, 2007

नज़र नही आता

सितारों से भरे आसमान मे
वो आफ़ताब नज़र नही आता
बेगानो की इस मेहफ़ील मे
वो अपना सा चेहरा नज़र नही आता

ज़िंदगी गुज़र जाती है ख्वाबों के सहारे
जिस ख्वाब की कोई ताबीर हो वो नज़र नही आता
यूँ तो कट जानी है सफ़र-ए-ज़िंदगी
मंज़िल तक ले चले वो हमसफ़र नज़र नही आता

ज़ख़्म दे जाए जो काँटे मिल जाते हैं बेसुमार
महका दे खुसबू से ज़िंदगी को वो फूल नज़र नही आता
क़ब्र पर रोने आ गये दोस्त और दुशमन कई
मगर रूह को सुकून दे जाए जो वो क़ातिल नज़र नही आता

Friday, June 22, 2007

अश्को के मोती

अश्को के मोती जो धागे मैं पिरोये हम ने
वो टूट कर बिखर चुके हैं आज

ये कैसी लगी है चोट इस दिल पर
की अंदर तक टूट कर बिखर चुके हैं आज

जो सज़ाये थे सपने पलको पर हम ने
एक हे पल मैं टूट कर बिखर चुके हैं आज

जो कहते थे रहेगें साथ हमारे आख़िर तक
ना जाने कियूँ एक पल मैं हे वो पराये हुए हैं आज

रह गुज़र ज़िंदगी से ना कोई शिकायत है
फिर भी एक अनजान सफ़र पर निकल चुके हैं आज

कहाँ ले जाएगें ये क़दम ना कोई ख़बर है हमें
बस एक अनदेखी मंज़िल की तलाश मैं निकल चुके हैं आज

अश्को के मोती

अश्को के मोती जो धागे मैं पिरोये हम ने
वो टूट कर बिखर चुके हैं आज

ये कैसी लगी है चोट इस दिल पर
की अंदर तक टूट कर बिखर चुके हैं आज

जो सज़ाये थे सपने पलको पर हम ने
एक हे पल मैं टूट कर बिखर चुके हैं आज

जो कहते थे रहेगें साथ हमारे आख़िर तक
ना जाने कियूँ एक पल मैं हे वो पराये हुए हैं आज

रह गुज़र ज़िंदगी से ना कोई शिकायत है
फिर भी एक अनजान सफ़र पर निकल चुके हैं आज

कहाँ ले जाएगें ये क़दम ना कोई ख़बर है हमें
बस एक अनदेखी मंज़िल की तलाश मैं निकल चुके हैं आज

Wednesday, June 20, 2007

मैं ओर मेरी तनहाइयाँ

मैं अकेला तो नही था साथ थी मेरी तनहाइयाँ
कुछ उनका वजूद था कुछ थी मेरी परछाईयाँ

प्यार इस कदर बदनाम हो गया था मेरा यारों
की मुछ से पहले जाती थी मेरी रुसवाइयाँ

उसकी मधुर आवाज़ कानो मैं गूँजती थी कुछ इस तरह
जैसे चारों तरफ़ बज रही हों शहनाईयाँ

बेपनाह हुस्न था उनका ये माना हमने
मगर नापनी मुस्किल थी मेरे ईस्क की गहराइयाँ

मैने हर मोड़ पर वफ़ा की उसके साथ
ओर वफ़ा के बदले मुझे मिली सिर्फ़ बेवफ़ाइयां !

Monday, June 18, 2007

जल रहा है ये समा

जल रहा है ये समा,
जला जला सा ये आसमान .....
जली हैं कितनी अस्थियाँ
जलें हैं कितने आशियाँ
है दूर तक जला हुआ..
वो मेरा घर वो मेरा कारवाँ .....
झुलस रही है लाश ये
झुलसी सी क्यूं है प्यास ये..
ये राख के ढेर हैं ..
ये धुएँ सी क्यूं है हवा
गला क्यूं ये रुंध है ...
सामने क्यूं ये धुँध है
बुझे बुझे हैं दिल सभी
जले जले हैं शायद अभी.
जले हुए ये दिन हैं क्यूं??
जली जली ये क्यूं रात है
क्या हादसे खतम हुए
आग ही की क्यूं बात है
पलकों पर जो संभाले
वो सपने आज हैं जल रहे
कौन हैं वो लोग जो
इस राख को हैं मल रहे ???
जली हुई है आग ये,
जला ज़मीन का भाग ये
ये जल रहें हैं क्यूं भला????
ये जल रहें हैं क्यूं बता????

Friday, June 15, 2007

ज़िन्दगी मेरी

नम आँखों से लिखी ज़िन्दगी मेरी
सूखी पड़ी हुई है ज़मीन पर

तिज़ारत सी बनी हुई ज़िन्दगी मेरी
लूटी पड़ी हुई है ज़मीन पर

वक़्त के हाथों में खंजर है
और कुछ दूर पर यही ज़िन्दगी मेरी,
सूनी पड़ी हुई है ज़मीन पर

किसी ज़र्रे में कसर बाक़ी है शायद
जो नज़रों के सामने ज़िन्दगी मेरी,
अधूरी पड़ी हुई है ज़मीन पर

चँद लम्हों से ही तो शिकायत थी
फिर क्यूं ये मेरी पूरी ज़िन्दगी,
रूठी पड़ी हुई है ज़मीन पर .....

Wednesday, June 13, 2007

देखते हैं

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
आज फिर उनसे मोहब्बत करके देखते हैं

उनके दिल मैं चाहत है या नही
आज फिर उन से मुलाक़ात करके देखते हैं

भरी महफ़िल मैं उढ़ा दी उंगली मेरी तरफ़
आज उन का हर इल्ज़ाम सह कर भी देखते हैं

कितनी बदल गई है वो मुछसे दूर रह कर
आज उस की महफ़िल मैं जा कर देखते हैं

दुआ से हर चीज़ मिलती है खुदा से
आज फिर तुछे उस खुदा से माँग कर देखते हैं

वो जो इस दिल मैं है पर मेरी नही
आज ये बात इस दिल को समझा कर देखते हैं

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं

Tuesday, June 12, 2007

हाल-ए-दिल

मैने उस से कुछ भी कहा तो नही है
मगर हाल-ए-दिल उस से छुपा तो नही है
क्यूं ऐसे चुप है वो जुदाई के वक़्त
कहीं प्यार उस ने भी किया तो नही है

इस से पहले की वो देखे मेरी आँख नम है
और पूछ बैठे की ऐसा क्या ग़म है
मैं कर के बहाना ख़ुद पूछ लू ये
मेरी आँख मे कुछ गिरा तो नही है

कुछ देर ऐसे ही ख़ामोश होके
मुझे प्यार करती है बोले वो रो के
ये सोच मुस्करा लूँ की काश ऐसा होता
ओर ये सोच कर
रो पडू की प्यार उसे भी हुआ तो नही है

Monday, June 11, 2007

कितना चाहता हू मैं

क्या आपको बताना भी पड़ेगा
की कितना चाहता हूँ आपको अब
हाँ ... मुश्किल है मगर
सब कुछ कहना ही पड़ेगा मुझे अब

पता नही आप प्यार करेंगे की नही
पर दिल से नाम आपका ना मिटेगा अब
अनजान बन कर भी आपको
ज़िंदगी भर चाहता रहेंगा ये दिल अब

साथ रहने की जो ज़ुस्तुजू थी
उसको दिल मे ही रखूँगा अब
दूर रह कर आपकी सर की कसम
खा खा कर अपने करम करूँगा अब

आप नही पर आपकी याद तो आएगी
आपके याद के सहारे ही जी जाउंगा अब
आपको भूल जाने की
हर कोशिश करूँगा अब

हक़ीक़त ना आपको पता ना मुझे
हक़ीक़त जान कर भी क्या बदल जाएगा अब
वफ़ाओं की बात तो करता ही नही मैं
आपको तो बेवफ़ा भी नही कह सकता अब

एक मुलाक़ात भी ना कर पाई जाने से पेहले
मिल कैसे पाउंगा आपसे अब
आपका चेहरा चाँद है अंधेरी रात मे
सिर्फ़ ये चाँद ही तो रह गया है मेरे पास अब

Friday, June 1, 2007

ये दिल मेरा..

जब देखा तेरी आँखों मैं मैने
थम सा गया ये दिल मेरा..

जब चूमा लबो को तेरे
खिल सा गया ये दिल मेरा..

जब आई तुम मेरी बाहों मैं
महक सा गया ये दिल मेरा..

जब आया वक़्त जुदा होने का तुम से
उदास हो गया ये दिल मेरा..

अब येह आलम है

उठी है नज़रे जहाँ
चेहरा तुम्हारा होता है वहाँ

मुझ से कहता है ये दिल मेरा
ले चल वापस मुझे उन बाहों मैं
सकूँ मुझे मिलता है जहाँ

बस मैं हो मेरे अगर
चीर कर तुम्हे दिखा दूं येह दिल मेरा

जब देखा तेरी आँखों मैं मैने
थम सा गया ये दिल मेरा..