चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
आज फिर उनसे मोहब्बत करके देखते हैं
उनके दिल मैं चाहत है या नही
आज फिर उन से मुलाक़ात करके देखते हैं
भरी महफ़िल मैं उढ़ा दी उंगली मेरी तरफ़
आज उन का हर इल्ज़ाम सह कर भी देखते हैं
कितनी बदल गई है वो मुछसे दूर रह कर
आज उस की महफ़िल मैं जा कर देखते हैं
दुआ से हर चीज़ मिलती है खुदा से
आज फिर तुछे उस खुदा से माँग कर देखते हैं
वो जो इस दिल मैं है पर मेरी नही
आज ये बात इस दिल को समझा कर देखते हैं
चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
2 comments:
चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
ये गलती करने का मन तो हमारा भी है।
भावो के हिसाब से आपने कोई गलती नही की लेकनि कही कही शब्दो मे गलती जरूर की है।
सायद टाईप की गलती है लेकिन आप इसमे सुधार कर सकते है पाठक अपनी गलती नही सुधार सकता इसमे उनकी मदद के लिए कुछ उपाय किजिये। जैसे मेने एक गलती की और पोस्ट कर दी अब इसका सूधार पाठक के बस मे नही। एक गलती से पाठक के भाव बदल जाते है।
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