जब देखा तेरी आँखों मैं मैने
थम सा गया ये दिल मेरा..
जब चूमा लबो को तेरे
खिल सा गया ये दिल मेरा..
जब आई तुम मेरी बाहों मैं
महक सा गया ये दिल मेरा..
जब आया वक़्त जुदा होने का तुम से
उदास हो गया ये दिल मेरा..
अब येह आलम है
उठी है नज़रे जहाँ
चेहरा तुम्हारा होता है वहाँ
मुझ से कहता है ये दिल मेरा
ले चल वापस मुझे उन बाहों मैं
सकूँ मुझे मिलता है जहाँ
बस मैं हो मेरे अगर
चीर कर तुम्हे दिखा दूं येह दिल मेरा
जब देखा तेरी आँखों मैं मैने
थम सा गया ये दिल मेरा..
2 comments:
प्रेम और विरह को अच्छा शब्दों में बांधा है...बधायी हो
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
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