कहाँ रोज रोज मिलती है वजह यूँ इस तरह पास हमारे आने की,
कुछ देर और ठहरो कि आँखों ने इजाजत नहीं दी है अभी जाने की
क्या जरूरत है शर्म-ओ-हया को, लबों पर इस तरह पहरा बिठाने की,
ग़र आँखों की जुबां समझो तो बात नहीं कुछ और तुम्हें बताने की
कैद कर लेंगे इन आँखों में हम उनको जिन्हें आदत थी छुप जाने की,
आखिर कुछ तो सजा मिलनी ही चाहिए चुपचाप दिल में उतर आने की
तस्सवुर में खोई रहती थी ये आँखें, फुरसत कहाँ थी इन्हें छलक जाने की,
क्यों फिर अब भर आई हैं, जबसे खबर मिली है चाँद निकल आने की
तन्हाइयों में तो सुना करते थे हम आवाज़ें सिर्फ वक्त के करहाने की,
पंख से क्यों लग गये हैं उसको, आहट जब से हुई है उनके आने की
धड़कने खामोश हैं, साँसें थम गई हैं वजह क्या है जुबां के लड़खड़ाने की,
कुछ तो कहो इरादा-ए-कत्ल है या कि आदत है तुम्हें यूँ ही मुस्कुराने की
Thursday, May 6, 2010
Thursday, March 4, 2010
हर पल खुदा से यही मांगता हूँ
हर पल खुदा से यही मांगता हूँ ,
सदा यूँ ही दुल्हन की तरह सजती रहो !
ना गम की परछाइयाँ आये कभी ,
सदा यूँ ही हंसती रहो !!
मैंने तो जोड़ लिया है तुमसे
दिल का रिश्ता ,
सदा यूँ ही
मेरे दिल में बसती रहो !!!
अब ना जी पाऊंगा
कभी तुम्हारे बिन ,
सदा यूँ ही
मुझसे प्यार करती रहो !!!!
सदा यूँ ही दुल्हन की तरह सजती रहो !
ना गम की परछाइयाँ आये कभी ,
सदा यूँ ही हंसती रहो !!
मैंने तो जोड़ लिया है तुमसे
दिल का रिश्ता ,
सदा यूँ ही
मेरे दिल में बसती रहो !!!
अब ना जी पाऊंगा
कभी तुम्हारे बिन ,
सदा यूँ ही
मुझसे प्यार करती रहो !!!!
Friday, February 26, 2010
जब भी देखोगे मुझे इसी हाल में पाओगे,
जब भी देखोगे मुझे इसी हाल में पाओगे,
आँख में आँसू, लबों को हँसता हुआ पाओगे
तुम्हारा तो खैर यकीन है मुझे खुद से ज्यादा,
आँसू दिया है जब आज तो कल भी रुलाओगे
मेरा क्या है? एक अदना-सा आदमी ही तो हूँ
आखिर कब तक मुझे तुम याद रख पाओगे?
मुझे तो अपनी ख़ाक पर भी कोई हक़ नहीं,
हर उम्मीद है झूठी, क्यों कोई उम्मीद दिलाओगे?
आँख में आँसू, लबों को हँसता हुआ पाओगे
तुम्हारा तो खैर यकीन है मुझे खुद से ज्यादा,
आँसू दिया है जब आज तो कल भी रुलाओगे
मेरा क्या है? एक अदना-सा आदमी ही तो हूँ
आखिर कब तक मुझे तुम याद रख पाओगे?
मुझे तो अपनी ख़ाक पर भी कोई हक़ नहीं,
हर उम्मीद है झूठी, क्यों कोई उम्मीद दिलाओगे?
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