Friday, August 24, 2007

मेरी कमी होगी..

गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......

आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,

सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी

जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............

2 comments:

इरफ़ान said...

भाई आपको ग़ज़लों से प्यार है ये बात अच्छी लगी. एफ़एम गोल्ड १०६.४ मैगा हर्ट्ज़ पर मैं अक्सर अंदाज़-ए-बयां करता हूं और कोशिश करता हूं कि ये गज़ल(जो आपने यहां छापी है)बजाऊं.आपने भी सुनी होगी अगर नहीं तो मेरे ब्लॊग पर आप इसे सुन सकते हैं.
www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत भावपूर्ण रचना है।बधाई।