Tuesday, April 24, 2007

खत

मैने तुझे आज फिर एक खत लिखा है
उस मैं अपने प्यार का पैगाम लिखा है
ज़रा गोर से पड़ना
उस मैं मेरे आंशुओं बूँदे भी होगीं
मेरी सिसकियों आहें भी होंगी
तेरे बिन जितने भी पल गुज़ारे मैं
उन सब का हिसाब लिखा है
मैने तुझे आज फिर एक खत लिखा है

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