मेरी ख़ामोश मोहब्बत का
इतना तो सिला दिया होता,
कभी एक नज़र चाहत से
देख ही लिया होता
हम भी तुझे इश्क़-ए-मोहब्बत
से आसना करते,
बस एक बार अपने दिल में
आने तो दिया होता.
किया जाता तुम्हारा बस
हमें हे दिल से खुशी मिलती,
अपनी ज़िंदगी की किताब में
नाम हमारा भी लिख लिया होता.
देख लेते ज़रा घोर से शायद,
तुम्हारे हाथ की लकीरों में
हमारी किस्मत का भी नाम दिया होता.
मेरी ख़ामोश मोहब्बत का
इतना तो सिला दिया होता,
2 comments:
wah wah wah bhai kalam ho aap
aapki shayri to lajawaab hai
hahahaha cool bhai thx for it.
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