Tuesday, May 29, 2007

ये कैसी बेबसी

ना तुझे छोड़ सकते हैं तेरे हो भी नही सकते
ये कैसी बेबसी है आज हम रो भी नही सेकते

ये कैसा दर्द है पल पल हमें तडपाए रखता है
तुम्हारी याद आती है तो फिर सो भी नही सकते

चुपा सकते हैं और ना दिखा सकते हैं दागों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जो हम धो भी नही सकते

कहा तो था छोड़ देगें तुम्हें, मगर फिर रुक गये
तुम्हें पा तो नही सकते, मगर खो भी नही सकते

हमारा एक होना भी नही मुमकिन रहा अब तो
जियें कैसे की तुम से दूर रह भी नही सकते.

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

नीरज जी, बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।