कच्चे धागे टूट गये हैं
सारे मौसम आ के रूठ गये हैं
जिन क संग बंधे थे हम तुम
लमहे वो पीछे छूट गये हैं
रास्ता ख़तम नही हो पाया
ओर पाऊं क छाले फूट गये हैं
जिन को रखवाली पर छोड़ा
सारा गुलशन वो लूट गये हैं
उस का असली रूप जो देखा
तो सारे सपने जो अपने थे
अब टूट गये हैं
4 comments:
अच्छी रचना है.. दर्द और सच से भरी..
बढ़िया.
बहुत खूब!
जिन को रखवाली पर छोड़ा
सारा गुलशन वो लूट गये हैं
बहुत बहुत सुक्रिया.
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