Friday, August 31, 2007

ख़ामोश रात है

ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है
चाँद की चँदनी भी हल्की है
पर उसमे भी तेरी हॅसी झलकी है
ठंडी हवाओ की एक सिरहण है
थमी हुई सी मेरी धड़कन है
पर दूर कहीं एक चेहरा ख़ास है
जिसे आँखों से पीने की मेरी प्यास है

ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है

जैसे कश्ती को माझी से प्यार है
वैसे ही कुछ मेरा भी हाल है
अब तो बस कल सुबहा का इंतज़ार है
देखूँगा उसे नज़र भर के
मुझे जिससे प्यार है ,पर अभी तो.....
ख़ामोश रात है , तन्हाईओं का साथ है
बेढ़े है अकेले , पर तेरा एहसास साथ है

3 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! सुन्दर एहसास भी ।
घुघूती बासूती

Unknown said...

nice one Niks....

Unknown said...

nice one Niks....