Wednesday, August 1, 2007

तन्हा नही छोड़ा

वो कह के चले इतनी मुलाक़ात बहुत है
मैं ने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत है

आँसू मेरे थम जायें तो फिर शौक़ से जाना
ऐसे मैं कहाँ जाओगे बरसात बहुत है

वो कहने लगी जाना मेरा बहुत ज़रूरी है
नही चाहती दिल तोड़ना तुम्हारा, पर मजबूरी है

अगर हुई हो कोई खता तो माफ़ केर देना
मैं ने कहा होज़ाओ चुप ,इतनी कही बात बहुत है

समझ गया हूँ सब, और कुछ कहो ज़रूरी नही
बस आज की रात रुक जाओ, जाना इतना भी ज़रूरी नही

फिर कभी ना आउंगा तुम्हारी ज़िंदगी में लौट के
सारी ज़िंदगी तन्हाई के लिए आज की रात बहुत हे

तुम फिर भी ना रुके, पलट के ना देखा, चल ही दिए
हमारे जीने के लिए तुम्हारी वो यादें बहुत हैं

मेरे भरोसे को तुमने ही तोड़ा
मेरे दिल की राहों को तुमने ही मोड़ा

अपनी यादों को भी साथ ले जाते
तुमने तन्हा कर के भी कभी तन्हा नही छोड़ा

3 comments:

Reetesh Gupta said...

बहुत खूब ...अच्छा लगा...बधाई

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

बिजली की बात कर रहे हैं क्या?

Unknown said...

bahoot bahooot bahooot aachi lagi niks..... too gud...