Thursday, July 26, 2007

क्यूं

हवा की तरह वो मुझे छू जाती है
पर नज़र क्यूं नही आती है

जब भी हाथ बदता हूँ छू लेने को
एक याद की तरह गुम हो जाती है

क्यूं रहती है एक अजनबी की तरह
वो मुझे क्यूं इतना तड़पाती है

क्या ख़बर नही उसे मेरे हाल की
या वो मुझे बस यूँही सताती है

Friday, July 20, 2007

महक तेरी साँसों

महक तेरी साँसों की इन साँसों मैं अब भी है
तू ना आई पर तेरा इंतज़ार अब भी है

जो भी पल साथ गुजारे हम ने
उन पलों की याद इस दिल मैं अब भी हैं

तूने जिस मोड़ पर साथ छोड़ा मेरा
उस मोड़ पर तेरे क़दमो की आहट अब भी हैं

तेरे मिलने से पहले रूखी थी ये ज़िंदगी
पर तेरे जाने के बाद तन्हा हम अब भी हैं

Tuesday, July 17, 2007

ये सावन

ये कैसी है इस बार की बारिश
कुछ तो नया सा है ये सावन

पहले तो कभी ना भीगे हम
ना डूबे किसी की आँखों मैं हम

कहीं बह ना जाएँ तेरी बातों मैं
कहीं खो ना जाएँ तेरी बाहों मैं हम

ना तू इतने क़रीब आ
की रोके से भी ना रुके फिर हम

है कुछ इस बार का ये बेईमान मौसम
कुछ नया सा ये इस बार का ये सावन

Tuesday, July 10, 2007

भुलाना नहीं आता

दिल से उनको भुलाना नहीं आता
हमको उनसे मिलने का बहाना नहीं आता !

दिल की दुनिया में झाँक लो
मेरे अरमानों की ख़बर क्या है तुमको???
मुझे उनके सामने कुछ भी बताना नही आता !

उनकी नाराज़गी किस तराह चुभती है
मेरे इस नाज़ुक से दिल को
हमें इस तकलीफ़ को लफ़्ज़ों में जताना नहीं आता !

हमसे तो कह गये के मोहब्बत में
तड़प को यूँ शामिल ना करो
सच तो येह है के आपको प्यार निभाना नहीं आता !

दिल के दरवाज़े को खोल कर देख लो
मेरे मेहबूब नाम किसका है लिखा
हमें वो नाम आपको पढ़ाना नहीं आता !

सारी दुनिया पर ज़ाहिर कर दिया
हमने अपना हाल-ए-दिल
हमें अपने दिल की हालत को छुपाना नहीं आता !

मोहब्बत को बन्दगी का नाम दिया है
उसे सादगी से पेश करेंगे
हमें वक़्त के साथ रंग बदलना नहीं आता, !

हमें हाल-ए-दिल बताना नही आता !

Thursday, July 5, 2007

ये सावन

इस बार की बारिश का ये कैसा समा है
तेरी आँखो मैं भी कुछ नशा है

बड़ रही हैं धड़कने
ना जाने होना आज क्या है

बहके से हैं ये क़दम अपने
दिल मैं कुछ तूफ़ान जवान हैं

रख कुछ फ़ासले मुझसे
कहीं हो ना जाए कोई गुनाह हम से

है कुछ इस बार का ये बेईमान मौसम
कुछ नया सा हैं इस बार का ये सावन.

Wednesday, July 4, 2007

आ भी जाओ

आ भी जाओ के ज़िंदगी कम है
तुम नही हो तो हर खुशी क़म है

वादा कर के ये कौन आया नही
शहर में आज रौशनी कम है

जाने क्या हो गया है मौसम को
धूप बहुत ओर चाँदनी क़म है

आईना देख कर ख़याल आया
आज कल उन की दोस्ती कम है

तेरे दम से ही मैं मुकम्मल हूँ
अब आ भी जाओ के ज़िंदगी क़म है