Friday, July 20, 2007

महक तेरी साँसों

महक तेरी साँसों की इन साँसों मैं अब भी है
तू ना आई पर तेरा इंतज़ार अब भी है

जो भी पल साथ गुजारे हम ने
उन पलों की याद इस दिल मैं अब भी हैं

तूने जिस मोड़ पर साथ छोड़ा मेरा
उस मोड़ पर तेरे क़दमो की आहट अब भी हैं

तेरे मिलने से पहले रूखी थी ये ज़िंदगी
पर तेरे जाने के बाद तन्हा हम अब भी हैं

6 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

नीरज जी, बहुत बढिया गीत है।प्रेयसी के प्र्ति विरह बखूबी शब्दों मे ढाला है।बधाई।

तेरे मिलने से पहले रूखी थी ये ज़िंदगी
पर तेरे जाने के बाद तन्हा हम अब भी हैं

Divine India said...

इतना अच्छा की यह महक मेरे सांसों में भी बह चला…।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया, नीरज. लिखते रहें.

Reetesh Gupta said...

अच्छा लगा पढ़कर ...बधाई

Anonymous said...

जो भी पल साथ गुज़रे हम ने

यहां गुजरे के स्‍थान पर गुजारे होना चाहीये था। थोडा हिन्‍दी की गलतियो का ध्‍यान रखे। आप शब्‍दो की जटिलता चाहते है तो इस लिंक की मदद से प्राप्‍त कर सकते है। http://www.cfilt.iitb.ac.in/wordnet/webhwn/wn.php

Neeraj K. Rajput said...

sukriya aap sab ka