Tuesday, December 11, 2007

काश

रूठ जाते हो हर बार खुद ही
कभी हमें भी तो रूठ जाने दिया होता

मनाते हैं हम हर बार ही तुमको
कभी तुमने भी तो हमें मनाया होता

जानते हैं हम की पत्थर हो तुम
कभी तुमने अपने दिल मैं कोई फूल तो खिलाया होता

जब भी मिले हो बस काँटे ही चुभोये हैं
कभी किसी गुल से तो हमें नवाजा होता

ज़ख़्म पर ज़ख़्म दिए हमको
कभी उन पर मरहम तो लगाया होता

माना की तुमको प्यार नही हमसे
पर कभी झुटे ही अपने गले से तो लगाया होता

हम तो भूल जाते इस एक पल मैं हर बात को
कभी प्यार से हमें नाम से बुलाया तो होता.

Monday, December 3, 2007

कब तक अपने राज़ को छुपाओगे

कब तक अपने राज़ को छुपाओगे
एक दिन तो हक़ीकत बन कर सबके सामने आओगे

तुम कर लो हज़ार कोशिशे राज़ छुपाने की
अब हम भी अपने इंतजार की हद तक अब जाएँगे

हुस्न ऑर माशूमियत से भरी हैं तेरी तस्वीरें
पर क्या फ़ायदा एक दिन तो
हर तस्वीर का रंग उतर ही जाएगा

चाहे कोई कितनी भी वफा कर ले मोहब्बत मैं
एक दिन तो महबूब के हाथों ये दिल बिखर हे जाएगा.

हम तो कर चुके हर कोशिश तुछे पाने की
पर अब इस दिल से तेरा नाम मिट ही जाएगा.