Friday, March 6, 2009

कितना पागल है ये दिल


कितना पागल है ये दिल
कितना पागल है ये दिल
हवा मे तुम्हारा पैगाम ढूंढता है
इस जगह मे तुम्हारा निशान ढूंढता है
आसमान मे तुम्हारा ये नाम ढूंढता है
सितारे मगर बताते नही
नज़ारे यहाँ के मानते नही
झोंके कभी कुछ जताते नही
ये इशारे भी दिल को समझाते नही
विराने मे तुम्हारे ये साथ ढूंढता है
कितना पागल है ये दिल
विराने है हमारे
तुम हमारे नही

3 comments:

Vinay said...

सुन्दर भाव!

मुंहफट said...

कितना पागल है ये दिल
आसमान मे तुम्हारा ये नाम ढूंढता है
..आह. शेर अर्ज किया है-
मुद्दत से पता मिला न दिल का
शायद कोई बात हो गई है.

PREETI BARTHWAL said...

बहुत खूब