Tuesday, March 3, 2009

किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही

रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...

खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...

पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...

अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...

आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही...!!!

2 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

Vinay said...

हाले-दिल सीना फ़ाड़के बयाँ किया है और इससे भी जज़्बाती कोई कैसे हो?