झागरों शे अब करो किनारा
डूब रहा है देश हमारा !!
सी. डी. के झूठ पर्दों से
वक्त फिरे है मारा-मारा !!!!
चोर इधर से उधर गये हैं
सोना मत अब पहरेदारों !!
घना अंधेरा मंगाई का
घर से चला गया उजियारा!!!!
एक कयामत बरपा होगी
भूख ने जब लोगों को मारा!!
ये मत भूलो काठ की हंडिया
चरड्टी नहीं फिर से दोबारा!!
लावा बन कर इन्हे बता दो
बहुत हो चुका खेल तुम्हारा!!
इंक़लाब की आग मे जलकर
अंजुम बन जा एक सितारा!!!!
1 comment:
बढिया.
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