Wednesday, May 28, 2008

नींद क्यूं रात भर नही आती

कोई उमीद भर नही आती
कोई सूरत नज़र नही आती

मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूं रात भर नही आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पे हँसी नही आती

है कुछ ऐसी ही बात कि चुप हूँ
वरना क्या बात कर नही आती

काबे किस मूँह से जाओगे "गालिब"
शर्म तुमको मगर नही आती

4 comments:

Rajesh Roshan said...

बहुत बढ़िया

Udan Tashtari said...
This comment has been removed by the author.
Udan Tashtari said...

वैसे इस प्रस्तुति के साथ गर आप इसके रचनाकार "गालिब" का नाम भी देते, तो अच्छा लगता.

कभी कभी नहीं भी मालूम होता है, तब अनजान शायर या शायर का नाम याद नहीं आदि जरुर लगा देना चाहिये अन्यथा प्रथम दृष्टा ऐसा लगता है कि आपने लिखा है, जो सही नहीं है.

आशा है मेरी सलाह अन्यथा न लेंगे.

shiv said...

thanka\s