क्या-क्या ख़याल जी से गुज़रते हैं सुबह-ओ-शाम
ज़ख़्म नये दिल में उभरते हैं सुबह-ओ-शाम
सदिया गुज़र गयीं हैं तुम्हें बेवफ़ा हुए
हम याद तुम्हें आज भी करते हैं सुबह-ओ-शाम
रह-रह के ,चौंक-चौंक के मैं नींद से जागूं
बन-बन के मेरे सपने बिखरते हैं सुबह-ओ-शाम
जब-जब तेरी यादों की घटा दिल पे छाई है
बादल मेरी आँखों के बरसते हैं सुबह-ओ-शाम
पल-पल मैं देखता हूँ उठ के राह गुज़र को
नैना तेरे दीदार को तरसते हैं सुबह-ओ-शाम
मत पूछिए क्या आलम-ए-ख्वाब-ओ-उम्मीद है
अंगार से सीने में देहकते हैं सुबह-ओ-शाम
Thursday, May 31, 2007
Wednesday, May 30, 2007
बेनाम सा ये दर्द
बेनाम सा ये दर्द...ठहर क्यूं नही जाता...
जो बीत गया है वो... गुज़र क्यूं नही जाता..
सब कुछ तो है...फिर भी क्या ढूँढती है निगाहें..
कुछ बात है उस छलक मैं...हर वक़्त वही क्यूं नज़र आता है
चाहता हूँ जिसे दिल से..
चहकार भी उसे क्यूं नही बता सकता
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं...
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूं नही जाता
वो नाम जो बरसों से सजाया..ना चेहरा ना आवाज़...
वो सिर्फ़ ख्वाब है अगर तो...बिखर क्यूं नही जाता
बेनाम सा ये दर्द...ठहर क्यूं नही जाता !
जो बीत गया है वो... गुज़र क्यूं नही जाता..
सब कुछ तो है...फिर भी क्या ढूँढती है निगाहें..
कुछ बात है उस छलक मैं...हर वक़्त वही क्यूं नज़र आता है
चाहता हूँ जिसे दिल से..
चहकार भी उसे क्यूं नही बता सकता
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं...
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूं नही जाता
वो नाम जो बरसों से सजाया..ना चेहरा ना आवाज़...
वो सिर्फ़ ख्वाब है अगर तो...बिखर क्यूं नही जाता
बेनाम सा ये दर्द...ठहर क्यूं नही जाता !
Tuesday, May 29, 2007
ये कैसी बेबसी
ना तुझे छोड़ सकते हैं तेरे हो भी नही सकते
ये कैसी बेबसी है आज हम रो भी नही सेकते
ये कैसा दर्द है पल पल हमें तडपाए रखता है
तुम्हारी याद आती है तो फिर सो भी नही सकते
चुपा सकते हैं और ना दिखा सकते हैं दागों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जो हम धो भी नही सकते
कहा तो था छोड़ देगें तुम्हें, मगर फिर रुक गये
तुम्हें पा तो नही सकते, मगर खो भी नही सकते
हमारा एक होना भी नही मुमकिन रहा अब तो
जियें कैसे की तुम से दूर रह भी नही सकते.
ये कैसी बेबसी है आज हम रो भी नही सेकते
ये कैसा दर्द है पल पल हमें तडपाए रखता है
तुम्हारी याद आती है तो फिर सो भी नही सकते
चुपा सकते हैं और ना दिखा सकते हैं दागों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जो हम धो भी नही सकते
कहा तो था छोड़ देगें तुम्हें, मगर फिर रुक गये
तुम्हें पा तो नही सकते, मगर खो भी नही सकते
हमारा एक होना भी नही मुमकिन रहा अब तो
जियें कैसे की तुम से दूर रह भी नही सकते.
Friday, May 25, 2007
इन्तजार
इस ज़माने से ना हम कोई गिला रखेंगे
दिल लगायेंगें तो ना शर्त-ए-वफ़ा रखेगें
ना दिखाएँगें कभी दिल पे लगे ज़ख़्म उनेहे
दर्द उठेगा मगर दिल को दबाए रखेंगें
जान दे देगें अगर एक इशारा कर दे
हम उसे अपने लिए भी ना बचा के रखेंगें
सब हटा देगें तेरी राह की रुकावट हमदम
घर के दरवज़ाय को हर वक़्त खुला रखगें
उनकी हर बात को भूले से ना भूलेंगें कभी
उनकी यादों को भी सीने से लगाए रखेंगें
टूट भी जाएगी उमीद जो तेरे आने की
एक दिया फिर भी हवाओं मैं जला के रखेंगें.
दिल लगायेंगें तो ना शर्त-ए-वफ़ा रखेगें
ना दिखाएँगें कभी दिल पे लगे ज़ख़्म उनेहे
दर्द उठेगा मगर दिल को दबाए रखेंगें
जान दे देगें अगर एक इशारा कर दे
हम उसे अपने लिए भी ना बचा के रखेंगें
सब हटा देगें तेरी राह की रुकावट हमदम
घर के दरवज़ाय को हर वक़्त खुला रखगें
उनकी हर बात को भूले से ना भूलेंगें कभी
उनकी यादों को भी सीने से लगाए रखेंगें
टूट भी जाएगी उमीद जो तेरे आने की
एक दिया फिर भी हवाओं मैं जला के रखेंगें.
एक दिया
इस ज़माने से ना हम कोई गिला रखेंगे
दिल लगायेंगें तो ना शर्त-ए-वफ़ा रखेगें
ना दिखाएँगें कभी दिल पे लगे ज़ख़्म उनेहे
दर्द उठेगा मगर दिल को दबाए रखेंगें
जान दे देगें अगर एक इशारा कर दे
हम उसे अपने लिए भी ना बचा के रखेंगें
सब हटा देगें तेरी राह की रुकावट हमदम
घर के दरवज़ाय को हर वक़्त खुला रखगें
उनकी हर बात को भूले से ना भूलेंगें कभी
उनकी यादों को भी सीने से लगाए रखेंगें
टूट भी जाएगी उमीद जो तेरे आने की
एक दिया फिर भी हवाओं मैं जला के रखेंगें.
दिल लगायेंगें तो ना शर्त-ए-वफ़ा रखेगें
ना दिखाएँगें कभी दिल पे लगे ज़ख़्म उनेहे
दर्द उठेगा मगर दिल को दबाए रखेंगें
जान दे देगें अगर एक इशारा कर दे
हम उसे अपने लिए भी ना बचा के रखेंगें
सब हटा देगें तेरी राह की रुकावट हमदम
घर के दरवज़ाय को हर वक़्त खुला रखगें
उनकी हर बात को भूले से ना भूलेंगें कभी
उनकी यादों को भी सीने से लगाए रखेंगें
टूट भी जाएगी उमीद जो तेरे आने की
एक दिया फिर भी हवाओं मैं जला के रखेंगें.
Thursday, May 24, 2007
कच्चे धागे
कच्चे धागे टूट गये हैं
सारे मौसम आ के रूठ गये हैं
जिन क संग बंधे थे हम तुम
लमहे वो पीछे छूट गये हैं
रास्ता ख़तम नही हो पाया
ओर पाऊं क छाले फूट गये हैं
जिन को रखवाली पर छोड़ा
सारा गुलशन वो लूट गये हैं
उस का असली रूप जो देखा
तो सारे सपने जो अपने थे
अब टूट गये हैं
सारे मौसम आ के रूठ गये हैं
जिन क संग बंधे थे हम तुम
लमहे वो पीछे छूट गये हैं
रास्ता ख़तम नही हो पाया
ओर पाऊं क छाले फूट गये हैं
जिन को रखवाली पर छोड़ा
सारा गुलशन वो लूट गये हैं
उस का असली रूप जो देखा
तो सारे सपने जो अपने थे
अब टूट गये हैं
Thursday, May 10, 2007
सफ़र
एक राह पर सारी उमर चले
एक दूजे को ना समझ सके
जीवन का सफ़र अनजान सफ़र
बे_खवाइश बे_आराम सफ़र
जीवन के किसी भी दुख सुख मैं
वो मेरा साथ सरीक नही
हम दोनो मैं एक रिश्ता है
पर ज्ज़बातों की तेहरीक नहीं
जारी है मगर अनजान सफ़र
मैं सोचता हूँ एक दिन यूँही
वो मुझ से दूर हो जाएगी
मुझे इस अजनबी सफ़र मैं अकेला
झोड़ जाएगी
फिर लोग कहेगें इनका
ये रिश्ता कितना सच्चा था
पर किस को ख़बर, सारा जीवन
वोह तन्हा थी...
मैं तन्हा था...
एक दूजे को ना समझ सके
जीवन का सफ़र अनजान सफ़र
बे_खवाइश बे_आराम सफ़र
जीवन के किसी भी दुख सुख मैं
वो मेरा साथ सरीक नही
हम दोनो मैं एक रिश्ता है
पर ज्ज़बातों की तेहरीक नहीं
जारी है मगर अनजान सफ़र
मैं सोचता हूँ एक दिन यूँही
वो मुझ से दूर हो जाएगी
मुझे इस अजनबी सफ़र मैं अकेला
झोड़ जाएगी
फिर लोग कहेगें इनका
ये रिश्ता कितना सच्चा था
पर किस को ख़बर, सारा जीवन
वोह तन्हा थी...
मैं तन्हा था...
Tuesday, May 8, 2007
मोहब्बत
मोहब्बत तो हमने भी की
पर मेरे महबूब ने मेरे
साथ बहुत बेरूख़ी की
वो इस दिल से दूर गई भी नही
ओर मेरे दिल के क़रीब भी नही
जानती है वो तड़पता हूँ मैं
पर मेरे ज़ख़्मो को वो निहारती भी नही
मैं खड़ा हूँ बीच मझदार मैं
ओर मेरी इस क्स्ती का कोई साहिल भी नही
डूबने वाला हूँ मैं इस दरिया मैं
ओर मुझे उस पार उतरने की अब
कोई चाहत भी नही
दर्द के इस समुद्र मैं जी रहा हूँ मैं
मुझे अब किसी खुशी की आरज़ू भी नही
हँसते हैं कुछ लोग जानकार मेरे
एक तरफ़ा प्यार को
पर मुझे अब इस ज़माने की कोई परवा नही
अभी तो मेरे ज़ख़्मो का दर्द ताज़ा है
ओर मेरी आँखो मैं बरीसों की कमी भी नही
मेरे साथ चलने के लिए मेरी तन्हाई हे काफ़ी है
मुझे किसी ओर के सहारे की अब ज़रूरत भी नही .
पर मेरे महबूब ने मेरे
साथ बहुत बेरूख़ी की
वो इस दिल से दूर गई भी नही
ओर मेरे दिल के क़रीब भी नही
जानती है वो तड़पता हूँ मैं
पर मेरे ज़ख़्मो को वो निहारती भी नही
मैं खड़ा हूँ बीच मझदार मैं
ओर मेरी इस क्स्ती का कोई साहिल भी नही
डूबने वाला हूँ मैं इस दरिया मैं
ओर मुझे उस पार उतरने की अब
कोई चाहत भी नही
दर्द के इस समुद्र मैं जी रहा हूँ मैं
मुझे अब किसी खुशी की आरज़ू भी नही
हँसते हैं कुछ लोग जानकार मेरे
एक तरफ़ा प्यार को
पर मुझे अब इस ज़माने की कोई परवा नही
अभी तो मेरे ज़ख़्मो का दर्द ताज़ा है
ओर मेरी आँखो मैं बरीसों की कमी भी नही
मेरे साथ चलने के लिए मेरी तन्हाई हे काफ़ी है
मुझे किसी ओर के सहारे की अब ज़रूरत भी नही .
ये मोहब्बत
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
ये प्यार के दो बोल मैं भी पढ़ कर तो देखूँ
किसी की आँखो की बातों को सुन कर तो देखूँ
किसी के दिल मैं रह कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना है बहुत गहराई है इस प्यार मैं
बहुत सच्चाई है इस प्यार मैं
इस प्यार की गहराई मैं डूब कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
किसी की धड़कनो को सुन कर तो देखूँ
किसी के केशुओं को सुलझा कर तो देखूँ
किस तरह होतें हैं दो दिल एक
ये राज़ जानकार मैं भी तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना बहुत दर्द भी मिलता है इस प्यार मैं
ये दर्द अपने दिल मैं महसूस कर के तो देखूँ
किस तरह होती है आँखों से बातें
ये बात मैं भी तो कर के देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना है नीद नही आती, चैन भी उड़ जाता है
अपनी इन नीदों को मैं भी तो उड़ा कर तो देखूँ
तन्हाई ही मिलती है इस प्यार मैं
मैं अपनी इस तन्हाई को सकूँ मैं बदल कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ.
ये प्यार के दो बोल मैं भी पढ़ कर तो देखूँ
किसी की आँखो की बातों को सुन कर तो देखूँ
किसी के दिल मैं रह कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना है बहुत गहराई है इस प्यार मैं
बहुत सच्चाई है इस प्यार मैं
इस प्यार की गहराई मैं डूब कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
किसी की धड़कनो को सुन कर तो देखूँ
किसी के केशुओं को सुलझा कर तो देखूँ
किस तरह होतें हैं दो दिल एक
ये राज़ जानकार मैं भी तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना बहुत दर्द भी मिलता है इस प्यार मैं
ये दर्द अपने दिल मैं महसूस कर के तो देखूँ
किस तरह होती है आँखों से बातें
ये बात मैं भी तो कर के देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ
सुना है नीद नही आती, चैन भी उड़ जाता है
अपनी इन नीदों को मैं भी तो उड़ा कर तो देखूँ
तन्हाई ही मिलती है इस प्यार मैं
मैं अपनी इस तन्हाई को सकूँ मैं बदल कर तो देखूँ
सोचता हूँ की ये मोहब्बत मैं भी कर के तो देखूँ.
अभी
मेरे जो ख्वाब थे
हैं वो अधूरे अभी
ना कोई रास्ता है
ना कोई मंज़िल है अभी
मेरी ज़िंदगी जा रही है कहाँ
ना जाना मैने अभी
मैं सितारो के साथ बात करता हूँ
परीदों के साथ उड़ता हूँ अभी
कोई ख़ुसी नही है मेरे दिल को
बस गम का सागर है अभी
मै हर जगह खोजता हूँ उससे
उसका अक्ष दिखता है मुझे
हर जगह अभी
उसके बिना तो ज़िंदगी मेरी पतझड़
का मौसम है
बस काँटो की राहें हैं अभी
उस से से जो कहना था ना कह सका कभी
सोचता हूँ दिल का हर राज़
कह दूं उस से अभी
ना दूर जाने दूं मैं उसे अब कभी
बस दिल की झौंव मैं रख लूँ अभी
गर कहे दो प्यार के बोल मुझ से
तो अपने अखोस मैं भर लूँ अभी.
हैं वो अधूरे अभी
ना कोई रास्ता है
ना कोई मंज़िल है अभी
मेरी ज़िंदगी जा रही है कहाँ
ना जाना मैने अभी
मैं सितारो के साथ बात करता हूँ
परीदों के साथ उड़ता हूँ अभी
कोई ख़ुसी नही है मेरे दिल को
बस गम का सागर है अभी
मै हर जगह खोजता हूँ उससे
उसका अक्ष दिखता है मुझे
हर जगह अभी
उसके बिना तो ज़िंदगी मेरी पतझड़
का मौसम है
बस काँटो की राहें हैं अभी
उस से से जो कहना था ना कह सका कभी
सोचता हूँ दिल का हर राज़
कह दूं उस से अभी
ना दूर जाने दूं मैं उसे अब कभी
बस दिल की झौंव मैं रख लूँ अभी
गर कहे दो प्यार के बोल मुझ से
तो अपने अखोस मैं भर लूँ अभी.
Monday, May 7, 2007
मेरा दर्द
मैं एक दिन अपना ये सफ़र पूरा करूँगा
ओर तुझे भुला दूँगा.....
मरूंगा ख़ुद भी
ओर तुझे भी आखरी सज़ा दूँगा...
इसी ख़याल मैं गुज़री हैं कई शाम ......
के दर्द ह्द से बड़ेगा तो मुस्करा दूँगा....
मेरी दिल की तड़प से कैसे दूर थे तुम...
हर वक़्त यही सोचते हूँ जाने कहाँ थे तुम..
तू आसमान की सूरत है गिर पड़ेगी कभी...
ज़मीन हूँ मैं भी, मगर तुझे असरा दूँगा...
बड़ा रही है मेरा दर्द, निशानियाँ तेरी.....
मैं तेरे सारे खत तेरी हर तस्वीर तक जला दूँगा...
ओर तुझे भुला दूँगा.....
मरूंगा ख़ुद भी
ओर तुझे भी आखरी सज़ा दूँगा...
इसी ख़याल मैं गुज़री हैं कई शाम ......
के दर्द ह्द से बड़ेगा तो मुस्करा दूँगा....
मेरी दिल की तड़प से कैसे दूर थे तुम...
हर वक़्त यही सोचते हूँ जाने कहाँ थे तुम..
तू आसमान की सूरत है गिर पड़ेगी कभी...
ज़मीन हूँ मैं भी, मगर तुझे असरा दूँगा...
बड़ा रही है मेरा दर्द, निशानियाँ तेरी.....
मैं तेरे सारे खत तेरी हर तस्वीर तक जला दूँगा...
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