रुक गई साँसे निकालने से पहले,
कहा एक बार उससे मिललूं चलने से पहले,
कुछ पल गुजार लूं उसकी बाहों में,
ज़िन्दगी के ढलने से पहले,
बहक जाऊं उसके आगोश में,
किसी और के साथ संभालने से पहले,
पत्थर बना लूं खुद को तो अच्छा है,
एहसास जग न जाए यादों के बहल ने से पहले,
मोहब्बत फिर भी करता तुझसे जो खबर होती,
इतना दर्द मिलेगा इस मोड़ के गुज़रने से पहले,
बस इश्क का खुमार हो मुझमे,
डूब जाऊं इस नशे में इसके उतरने से पहले,
सच होने की शर्त रखी कहाँ थी मैंने,
खवाबों की सीडियां चड़ने से पहले,
क्या पता था डूब कर ही पार लग जाउंगा,
इस इश्क के समुन्दर में गिरने से पहले.
Saturday, February 21, 2009
Wednesday, February 18, 2009
एहसास
एहसास
एक भावना,एक माध्यम है
कुछ पाने और कुछ खोने का
कभी ना कर सकी इस भावना का इज़हार
और ना ही कभी किया है इंतज़ार
एसे ही उमड़ पड़ता है
जब कोई चीज़ बहुत हो ज़्यादा,या बहुत कम
दबे पाव आए , आहट भी ना होये
बस एक हलचल महसूस करता है
गम और खुशियों से मिलन करता है
जुड़ ज़्याता है मन से, ज़िंदगी में ,ये अहसास
मेरी ही भावना मुझे थमाता है
और अनकहे ही चला ज़्याता है, ये अहसास
एक भावना,एक माध्यम है
कुछ पाने और कुछ खोने का
कभी ना कर सकी इस भावना का इज़हार
और ना ही कभी किया है इंतज़ार
एसे ही उमड़ पड़ता है
जब कोई चीज़ बहुत हो ज़्यादा,या बहुत कम
दबे पाव आए , आहट भी ना होये
बस एक हलचल महसूस करता है
गम और खुशियों से मिलन करता है
जुड़ ज़्याता है मन से, ज़िंदगी में ,ये अहसास
मेरी ही भावना मुझे थमाता है
और अनकहे ही चला ज़्याता है, ये अहसास
प्रेम से जीत
नफरत ऒ फैलाने वालों
यह तुम ठीक से जान लो
नहीं सफल हो सकते तुम
विष वमता में जान लो
मजहब नहीं सिखाता बैर
तुम्हे समझ क्यों ना आये
हिंसा कर दहशत फैलाना
रास तुम्हे कैसे आये
मातृ-भूमी पर मर मिटने का
जज्बा लिये हम जीते हैं
अनाचारियों को खत्म करने का
संकल्प लिये हम चलते हैं
विद्वेष का जहर घोल कर
जीत नहीं सकता कोई
नत् मस्तक हम प्रेम के आगे
हमें प्रेम से जीत सकता हर कोइ
यह तुम ठीक से जान लो
नहीं सफल हो सकते तुम
विष वमता में जान लो
मजहब नहीं सिखाता बैर
तुम्हे समझ क्यों ना आये
हिंसा कर दहशत फैलाना
रास तुम्हे कैसे आये
मातृ-भूमी पर मर मिटने का
जज्बा लिये हम जीते हैं
अनाचारियों को खत्म करने का
संकल्प लिये हम चलते हैं
विद्वेष का जहर घोल कर
जीत नहीं सकता कोई
नत् मस्तक हम प्रेम के आगे
हमें प्रेम से जीत सकता हर कोइ
Wednesday, February 11, 2009
सादा जीवन उच्च विचार
सादा जीवन उच्च विचार को अपनाये सरकार
कोई बेचे ताज कोई मंदिर गुरुद्वार
उच्च विचार को बेच दिया गैरों के हाथ
बस जीवन की बाकी रह गयी कहानी
कोई सोये खाली पेट कोई करे मनमानी
कोई भूखों मरता है तो मर जाये
मेरा बिल बस चार लाख का बन जाये
यही है सादे जीवन की नयी परिभाषा
करो फील गुड और छोड़ो आशा
वतॅमान में उच्च विचार से भी कुछ होता है
यहाँ तो सारा खेल बस उच्च जीवन का है
कोई बेचे ताज कोई मंदिर गुरुद्वार
उच्च विचार को बेच दिया गैरों के हाथ
बस जीवन की बाकी रह गयी कहानी
कोई सोये खाली पेट कोई करे मनमानी
कोई भूखों मरता है तो मर जाये
मेरा बिल बस चार लाख का बन जाये
यही है सादे जीवन की नयी परिभाषा
करो फील गुड और छोड़ो आशा
वतॅमान में उच्च विचार से भी कुछ होता है
यहाँ तो सारा खेल बस उच्च जीवन का है
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